सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैंक कर्मचारियों को ब्याज मुक्त या रियायती दर पर ऋण एक अनूठा लाभ है। यह ‘अनुलाभ’ है और इसलिए आयकर के दायरे में है। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने यह भी कहा कि SBI की ब्याज दर को एक बेंचमार्क के रूप में तय करने से एकरूपता सुनिश्चित होती है और विभिन्न बैंकों की ओर से ली जाने वाली अलग-अलग ब्याज दरों पर कानूनी विवादों को रोका जा सकता है।

पीठ ने कहा, वाणिज्यिक और कर कानून अत्यधिक संवेदनशील और जटिल होते हैं, क्योंकि वे कई समस्याओं से निपटते हैं और आकस्मिक होते हैं। यह अदालत संबंधित कानून में हस्तक्षेप नहीं करना चाहेगी, जो दुरुपयोग की संभावनाओं को रोकता है और निश्चितता को बढ़ावा देता है। अदालत ने यह भी माना कि प्रावधान करदाताओं के लिए अन्यायपूर्ण या कठोर नहीं हैं। पीठ ने एसबीआई की प्रमुख उधार दर को बेंचमार्क के रूप में चार्ज करने की मंजूरी देते हुए कहा, एक जटिल समस्या को एक समान फॉर्मूले के माध्यम से हल किया गया है, जो न्यायिक स्वीकृति के योग्य है।  

GST वसूली के दौरान धमकी, जबरदस्ती न करे केंद्र
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि वह GST वसूलने के लिए तलाशी और जब्ती के दौरान व्यापारियों के खिलाफ धमकी और जबरदस्ती की कार्रवाई न करे। इसके बजाय उन्हें स्वेच्छा से बकाया जमा करने के लिए राजी करे। जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने कहा कि GST कानून के तहत ऐसा कोई प्रावधान नहीं है जो अधिकारियों को बकाया राशि के भुगतान के लिए बल प्रयोग का अधिकार देता हो। पीठ GST अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों की समीक्षा कर रही थी। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से पीठ ने कहा, अधिनियम के तहत तलाशी और जब्ती के दौरान किसी भी व्यक्ति को कर देनदारी का भुगतान करने के लिए मजबूर करने का कोई अधिकार नहीं है। अपने विभाग से कहें कि भुगतान स्वेच्छा से हो तथा किसी प्रकार का बल प्रयोग न हो।

Source Link

Picture Source :